उत्तरकाशी में सिल्क्यारा व डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग के मलबे में दबे 41 मजदूर अभी भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं. हादसे को करीब 9 दिन हो चुके हैं. लेकिन अभी तक मजदूरों को मलबे के अंदर से निकाला नहीं गया है. हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चलाया जा रहा है. मलबे को हटाने के लिए तरह-तरह की मशीनें लगाई जा रही हैं पर अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. इस बीच अब सेना की मदद लेने की बात कही जा रही है.
सेना के सूत्रों ने सीएनएन न्यूज18 को बताया, “सेना के जवानों की एक टीम ने निरीक्षण के लिए घटनास्थल का दौरा किया. सेना मौके पर मौजूद है, लेकिन बीआरओ और अन्य एजेंसियां ऑपरेशन में शामिल हैं. अब तक सेना की कोई प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं है. सेना के इंजीनियरों की टीम स्टैंडबाय पर है.”
बता दें कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन में पहले से टीमें लगी हुई हैं. वहीं विदेशी टीमों से भी मदद ली जा रही है. सुरंग के अंदर मजदूरों को लंबे समय तक कैद में रखना उनकी भलाई के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर रहा है. पीएम के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा, 4-5 दिनों में श्रमिकों को बचाए जाने की संभावना है. रविवार को बचाव प्रयास रोक दिए गए और यह निर्णय लिया गया कि लोगों को बचाने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग की जाएगी, जिसके लिए गुजरात और ओडिशा से उपकरण जुटाए गए थे.
सरकार ने रविवार को कहा कि उत्तरकाशी में सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की जान बचाने के लिए बचाव अभियान आठवें दिन भी जारी है, सतलज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) मजदूरों को बचाने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग करेगा, जिसके लिए उपकरण लगाए गए हैं. भारतीय रेलवे के माध्यम से गुजरात और ओडिशा से मशीनें जुटाई गई हैं.
सरकार ने यह भी कहा कि गहरी ड्रिलिंग में विशेषज्ञता रखने वाली ओएनजीसी ने बरकोट छोर से वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए प्रारंभिक कार्य शुरू कर दिया है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने कहा कि फंसे हुए 41 श्रमिकों को बचाने के लिए पांच-विकल्प कार्य योजना लागू करने का निर्णय लिया गया है.