उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. अब बड़कोट की तरफ से भी ड्रिलिंग का काम किया जा रहा है.
एक मशीन जो कल सड़क संकरी होने के कारण फंस गई थी, अब सिल्कयारा सुरंग स्थल पर पहुंच गई है. यहां फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान चल रहा है.
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) बचाव अभियान चलाने के लिए मशीनों को गुजरने के लिए सिल्कयारा सुरंग स्थल के पास सड़कों के निर्माण में लगा हुआ है. 12 नवंबर को उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था.
सुरंग के मुख्य द्वार पर बने एक मंदिर में प्रार्थना की जा रही है. यहां फंसे हुए श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान चल रहा है.
सिलक्यारा की तरफ ऑगर मशीन से की जा रही हारिजांटल ड्रिलिंग रात में शुरू कर दी गई थी. वहीं सुरंग के ऊपरी भाग पर वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीनों को स्थापित करने का काम शुरू हो गया है. साथ ही स्थान की पहचान कर ली गई है. बड़कोट की तरफ से भी वर्टिकल और हारिजांटल दोनों तरह की ड्रिलिंग की दिशा में एजेंसियों ने कदम बढ़ा दिए हैं. 41 मजदूरों को बचाने का ऑपरेशन अब निर्णायक मोड़ की तरफ बढ़ता दिख रहा है.
सिल्कयारा टनल के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए स्थान की पहचान कर ली गई है. 12 नवंबर को उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था.
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए राहत एवं बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है. भारतीय वायुसेना के विमानों द्वारा विशेष उपकरण भी मंगवाए गए हैं. सिलक्यारा में जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ, अन्तर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ और भारत सरकार की अन्य तकनीकी एजेंसियों को प्रदेश सरकार पूर्ण सहयोग प्रदान कर रही है. टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. पीएम मोदी स्वयं भी बचाव कार्यों पर लगातार नजर बनाये हुए हैं.
ओडिशा: पुरी में रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे श्रमिकों की सुरक्षा और बचाव के लिए प्रार्थना करने के लिए रेत से एक कलाकृति बनाई.
सिल्कयारा सुरंग में फंसे मजदूरों को आज 11वां दिन है. श्रमिकों को पाइप के जरिए खाना-पानी दिया जा रहा है. भूस्खलन के बाद निर्माणाधीन सुरंग के 2 किलोमीटर लंबे हिस्से में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए कुल पांच एजेंसियों- ओएनजीसी, एसजेवीएनएल, आरवीएनएल, एनएचआईडीसीएल और टीएचडीसीएल- को जिम्मेदारी सौंपी गई है.
बैकग्राउंड
उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को आज 11वां दिन हैं. बचाव अभियान के दसवें दिन मंगलवार को सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के सकुशल होने का पहला वीडियो सामने आया था. जिसने उनके परिवारों की उम्मीद के साथ ही बचावकर्मियों का मनोबल भी बढ़ा दिया था. अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने मलबे को काटकर निकासी मार्ग से श्रमिकों को निकालने का रुका हुआ अभियान फिर से शुरू कर दिया है. सुरंग में फंसे श्रमिकों को पाइप के माध्यम से रात के खाने के लिए शाकाहारी पुलाव, मटर-पनीर और मक्खन के साथ चपाती भेजी गई.
अधिकारियों ने कहा कि इससे पहले, सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को छह इंच चौड़े पाइप के माध्यम से सेब, संतरे, मौसमी और केले जैसे फल व इलेक्ट्रॉल जैसी आवश्यक दवाइयां पहुंचाई गईं. दिल्ली में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा शाम को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) ने सिल्क्यारा की तरफ से क्षैतिज बोरिंग अभियान फिर से शुरू कर दिया है.
बचावकर्मियों ने चार धाम मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग के बाड़कोट-छोर पर भी दो विस्फोट किए, जिससे अंदर फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए एक और सुरंग को ड्रिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई. उत्तरकाशी जिले में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन साढ़े चार किलोमीटर लंबी सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिससे उसमें मलबे के दूसरी ओर श्रमिक फंस गए.
अधिकारियों ने बताया कि मलबे में डाली गई छह इंच की पाइपलाइन के जरिए श्रमिकों तक एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरा भेजा गया जिससे तड़के मिले वीडियो से उनके सकुशल होने का पता चला. यह कैमरा सोमवार देर शाम दिल्ली से सिलक्यारा लाया गया था. वीडियो में पीले और सफेद रंग के हेलमेट पहने श्रमिक पाइपलाइन के माध्यम से भेजा गया भोजन प्राप्त करते हुए और एक-दूसरे से बात करते हुए दिखाई देते हैं.