9वें प्रयास में अरंविद ने निकाला NEET, लोग मारते थे ताना – तुमसे न हो पाएगा…कबाड़ी के बेटे हो, भंगार खरीदो
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम कहा करते थे कि बड़े सपने देखने चाहिए. आज आपको एक ऐसी ही कहानी बताते हैं यूपी के एक छोटे से गांव बरहीडा के रहने वाले अरविंद कुमार की, जिन्होंने डॉक्टर बनने का सपना देखा और लगातार 8 बार फेल होते गए. लेकिन हार नहीं मानी कोटा आए यहां पर नीट की 2 साल की कड़ी मेहनत से तैयार की. तब जाकर नवीं बार में नीट क्लियर की. आज अरविंद कुमार झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस के थर्ड ईयर में हैं.
अरविंद के आस पड़ोसी और रिश्तेदारों ने कहा कि तुमसे न हो पाएगा कबाड़ी के बेटे हो अपने पिता के साथ काम में हाथ बटाओ लेकिन अरविंद ने ठान लिया था कि डॉक्टर तो बनना ही है. पिता ने अरविंद का हमेशा सपोर्ट किया कोटा आने के लिए पैसे इकट्ठे कर दिए और कहा की मेहनत करो अगर नहीं होगा तो कोई बात नहीं दूसरा काम कर लेना. अरविंद ने ऑल इंडिया 11603 रैंक हासिल की अरविंद के दसवीं में 48% और 12वीं में 60% अंक थे लेकिन दिन रात कड़ी मेहनत 7 से 8 घंटे की पढ़ाई की और सपना साकार हो गया.
2012 से दे रहे थे नीट की परीक्षा
अरविंद ने बताया कि 2012 से मेडिकल प्रवेश परीक्षा दे रहे हैं और 8 बार में सफलता नहीं मिली. 9वें प्रयास में ऑल इंडिया 11603 रैंक हासिल की. तब मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था झांसी में सरकारी मेडिकल कॉलेज मिला. 2012 से 2017 तक यूपी में ही तैयारी की इसके बाद कोटा में कोचिंग के बारे में काफी सुना था यहां आए और 2 साल दिन रात मेहनत कर नीट में सफलता हासिल की. मुझे अपने माता-पिता का सपोर्ट मिला.
खुद पर रखें भरोसा, जरूर मिलेगी सफलता
अरविंद ने बताया कि कोटा में पढ़ने आने वाले स्टूडेंट्स को कहना चाहूंगा कि कभी भी हार नहीं मानी. अब देखने को मिलता है कि कई ऐसे बच्चे होते हैं जो एक या दो बार असफल होने के बाद स्ट्रेस में आ जाते हैं और गलत कदम उठा लेते हैं ऐसा नहीं है अगर यह नहीं तो कुछ और भी कर सकते हो लेकिन अपने आप पर भरोसा करना सीखे मुझे खुद पर भरोसा था इसीलिए मैं अभी झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में थर्ड ईयर का स्टूडेंट.