कभी चंद रुपये बचाने को भिड़ाता था तिकड़म, आज 8000 करोड़ की कंपनी का मालिक, चलता है 4 करोड़ की गाड़ी में
ज़ोहो के श्रीधर वेंबू, और जेरोधा के नितिन कामत के बाद भारत में यदि कोई तीसरा व्यक्ति है, जिसने जीरो फंडिंग से हजारों करोड़ों के मूल्य वाली कंपनी बना दी हो, वह है रिकांत पिट्टी (Rikant Pitti). रिकांत की कंपनी का नाम ईज़मायट्रिप (EaseMyTrip) है. 8,780.50 करोड़ के मार्केट कैप वाली इस कंपनी ने वित्त वर्ष-19 में 24 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया था, जबकि वित्त वर्ष-23 में 146.8 करोड़ का नेट प्राफिट बनाया. 8700 करोड़ से ज्यादा वैल्यूएशन वाली कंपनी बनाने वाले रिकांत पिट्टी ने इसे यहां तक पहुंचाने के लिए शुरुआती स्तर पर कोई फंडिंग नहीं ली. 2021 में कंपनी ने आईपीओ के जरिए बाजार से पैसा उठाया. शेयर मार्केट में इसे ईज़ी ट्रिप प्लानर लिमिटेड (Easy Trip Planner Ltd.) के नाम से जाना जाता है.
इसके पीछे एक साधारण-सा आइडिया था, जो विस्तार लेकर EaseMyTrip बन गया. इसका विचार रिकांत के दिमाग में था और उन्होंने इसे हकीकत में बदल दिया. कैसे एक विचार ने मूर्तरूप लिया, और फिर कैसे साढ़े आठ हजार करोड़ की कंपनी बनी, यह यात्रा काफी दिलचस्प है. उससे पहले ये भी जान लेना चाहिए कि अभी ईज़मायट्रिप भारत की दूसरी सबसे बड़ी ट्रैवल एजेंसी है. फिलहाल इसके पास 61,000 ट्रैवल एजेंट हैं. 10 लाख से ज्यादा होटल पार्टनर हैं. इंटरनेशनल और डोमेस्टिक कुल मिलाकर 400 एयरलाइन्स से टाई-अप है. सबसे बड़ी चीज उनके 11 मिलियन से अधिक ग्राहक हैं.
रिकांत पिट्टी तब इंजीनियरिंग कर रहे थे. उनके पिता एक बिजनेसमैन थे और उन्हें महीने में 15-20 फ्लाइट्स पकड़कर एक जगह से दूसरी जगह आना-जाना होता था. उस समय ट्रैवल एजेंट टिकट के ऑनलाइन प्राइस से लगभग 1,500 रुपये अधिक चार्ज करते थे. इस तरह यदि उनके पिता महीने में 15 फ्लाइट्स भी लेते तो उन्हें लगभग अतिरिक्त 20,000 रुपये चुकाने पड़ते थे. इसलिए रिकांत ने अपने पिता के लिए खुद ही टिकट बुक करना शुरू कर दिया.
यूं शुरू हुई रिकांत की ट्रैवल एजेंसी
रिकांत पिट्टी न केवल अपने लिए बल्कि अपने जानकारों के लिए भी फ्लाइट बुक कर दिया करते थे. ऐसे में एयरलाइन्स ने नोटिस किया कि वे (एक ही अकाउंट से) काफी ज्यादा टिकट बुक करते हैं तो रिकांत को ट्रैवल एजेंट बनने का ऑफर दे दिया गया. रिकांत को भी लगा कि यह अच्छा बिजनेस है और मौका खुद चलकर उनके पास आया है. तो… रिकांत ने एक ट्रैवल एजेंसी खोल ली- जिसका नाम था ड्यूक ट्रैवल्स (Duke Travels). तब भी रिकांत कॉलेज में ही थे.
ड्यूक ट्रैवल्स ने बल्क SMS भेजकर अपनी शुरुआत की. रिस्पॉन्स अच्छा मिला और 2007 आते-आते अपने साथ 400 ट्रैवल एजेंट जोड़ लिए. ट्रैवलिंग एजेंसी ठीक-ठाक चल तो रही थी, मगर रिकांत संतुष्ट नहीं थे. समस्या थी फ्लाइट बुकिंग पर मिलने वाला कमीशन. यह इतना कम था, जैसे ऊंट के मुंह में जीरा. बुकिंग का 5 प्रतिशत एजेंट को और 2 प्रतिशत पैसा उन्हें मिल रहा था. रिकांत को समझ आ चुका था कि एक एयरलाइन्स से काम नहीं चलेगा, और उन्हें ज्यादा एयरलाइन्स के साथ टाई-अप करना होगा.
छोटे से अपार्टमेंट से जन्मी इतनी बड़ी कंपनी
इसी उधेड़बुन में एक साल निकल चुका था. 2008 में रिकांत ने अपने भाई को साथ लिया और 15 लाख रुपये का निवेश करके पूर्वी दिल्ली के एक वन-बेडरूम अपार्टमेंट में कंपनी शुरू कर दी. इस तरह जन्म हुआ ईज़मायट्रिप (EMT) का. अब लगातार एजेंट जुड़ने लगे. 3 साल बाद मतलब 2011 में कंपनी के साथ 11,000 एजेंट्स जुड़ चुके थे और 364 करोड़ रुपये का वॉल्यूम प्रोसेस हुआ. आंकड़ा सुनने में काफी अच्छा लगता है, मगर मार्जिन अब भी 2 प्रतिशत ही था. और इतने कम मार्जिन पर सर्वाइव करना मुश्किल था.
ग्राहकों को कैसे लुभाया
अच्छा बिजनेसमैन वही है, जो परिस्थितियों को भांपते हुए बिजनेस मॉडल तक बदलने में गुरेज न करे. रिकांत पिट्टी ने भी यही किया. इस बार उन्होंने जो किया, उससे पूरा गेम पलट गया. कंपनी ने सीधे कस्टमर तक पहुंच बनाई. ऐसा करने से एक नुकसान यह हुआ कि 80 प्रतिशत ट्रैवल एजेंट छिटक गए, लेकिन लम्बे समय में यह कदम कारगर साबित हुआ.
ईज़मायट्रिप ने ग्राहकों को लुभाने के लिए “नो कन्वीनियंस फीस” और “ज़ीरो हिडन चार्जेज” की ऑफर दिया. इसके बाद एक साल के भीतर कंपनी ने 20,000 से ज्यादा फ्लाइट टिकट रोजाना बेचे. 2015 तक, कंपनी की सेल बढ़कर 1,500 करोड़ रुपये तक पहुंच गई.
मेकमायट्रिप और यात्रा के किया मुकाबला
इंडस्ट्री बदल रही थी. मेकमायट्रिप (MakeMyTrip) और यात्रा (Yatra) भी मैदान में उतर चुकी थीं. मुनाफा कमाने के लिए दोनों कंपनियां काफी पैसा उठा रही थीं. इसी बीच ईज़मायट्रिप 2008 के बाद से ही हर साल मनाफे के साथ 50 प्रतिशत की गति से बढ़ रही थी. 2021 में कंपनी अपना आईपीओ लाई. आईपीओ को जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला और आईपीओ 159.33 गुना अधिक सब्सक्राइब हुआ.
मार्च 2021 में आईपीओ आया, जिसका प्राइस बैंड ₹186 से ₹187 प्रति शेयर रखा गया. एनएसई पर लिस्टिंग 212.25 रुपये पर हुई. उसके बाद अब तक यह स्टॉक दो बार स्प्लिट हुआ है और 27 फरवरी 2024 को 48.90 रुपये पर बंद हुआ है.
रिकांत ने अभी खरीदी 100 करोड़ की प्रॉपर्टी
रिकांत पिट्टी और उनके दो भाइयों को उनकी मेहनत का फल मिला. कभी अपने कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाए रिकांत आज 4.22 करोड़ रुपये की लैम्बॉर्गिनी गाड़ी से चलते हैं. पिछले महीने ही ईज़मायट्रिप के को-फाउंडर रिकांत ने गुड़गांव के सेक्टर 32 में 99.34 करोड़ रुपये की कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदी है. गुड़गांव का यह सबसे पॉश एरिया है. प्रॉपर्टी खरीदने की खबर जनवरी 2024 की है. पता चला है कि 4,050 स्क्वेयर मीटर अथवा 43,594 स्क्वेयर फीट की यह प्रॉपर्टी गुड़गांव की प्रीमियम लोकेशन राजीव चौक के बिलकुल पास स्थित है. एक रियल एस्टेट डेटा एनालिटिक्स फर्म CRE Matrix की रिपोर्ट बताती है कि इस प्रॉपर्टी का बिल्टअप एरिया 1,00,429 स्क्वेयर फीट है.
रिकांत पिट्टी की पढ़ाई और परिवार
रिकांत 1995 में नई दिल्ली के विवेकानंद स्कूल में पढ़ने गए. 2005 में उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर ली. 2006 में उन्होंने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थिति कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और 2010 में अपना बी.टेक पूरी की. उनके पिता एक कोयला ट्रेडर थे. तीन भाइयों में सबसे छोटे रिकांत के दो भाई प्रशांत पिट्टी (सबसे बड़े) और निशांत पिट्टी हैं. ये दोनों भाई भी कंपनी के को-फाउंजर हैं. रिकांत पिट्टी की शादी हिना वंजानी से हुई है.