बिना कोचिंग के सेल्फ स्टडी के दम पर दूसरे प्रयास में चंद्रप्रकाश बने IAS, हिमाचल में होगी पहली तैनाती
कहते हैं कि अगर मन में कुछ कर गुजरने की लगन हो तो चाहे कोई भी कठिनाई सामने आए वो भी कड़ी मेहनत के आगे दम तोड़ देती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बाड़मेर के चंद्रप्रकाश सुवासिया ने. चंद्रप्रकाश अपनी मेहनत और सेल्फ स्टडी से दूसरे ही प्रयास में IAS बने हैं. ट्रेनिंग के दौरान जब वह पहली बार आए तो टीचर मां ने मंगल आरती उतारकर स्वागत किया.
साल 2009 में बनी फिल्म ‘थ्री इडियट’ का यह डायलॉग तो आपको याद ही होगा ‘कामयाबी के पीछे मत भागो, काबिल बनो, कामयाबी झक मार के तुम्हारे पास आएगी’ बस कुछ ऐसी ही कहानी है बाड़मेर के शास्त्री नगर निवासी आईएएस चंद्रप्रकाश की. चंद्रप्रकाश सुवासिया अपने समाज के पहले आईएएस अफसर बने है. सबसे बड़ी बात यह है कि चंद्रप्रकाश ने सेल्फ स्टडी के दम पर यह मुकाम पाया है.
सेल्फ स्टडी से पाई सफलता
चंद्रप्रकाश बेहद ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं. चंद्रप्रकाश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बाड़मेर शहर के मॉर्डन स्कूल से पूरी की और इसके बाद धनबाद से 2021 में IIT से बीटेक किया. बीटेक करने के बाद सेल्फ स्टडी से कोरोना में ही सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी. इसके लिए चंद्रप्रकाश ने रोजाना 6 से 8 घंटे पढ़ाई की और दूसरे ही प्रयास में सफलता हासिल की है.
बने समाज के पहले आईएएस
चंद्रप्रकाश के पिता नरसिंगदास जोधपुर के केरु में विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. माता सुशीला देवी कादरे की ढाणी में वरिष्ठ अध्यापिका के पद पर पदस्थापित है. बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले चंद्रप्रकाश ने कड़ी मेहनत के दम पर यूपीएससी की परीक्षा पास कर अपने समाज के पहले आईएएस बने है.
महंगी कोचिंग नहीं मेहनत है जरुरी
चंद्रप्रकाश ने अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने दोस्तों और परिवार वालों को दिया है. उन्होंने कहा यूपीएससी की परीक्षा पास करने के लिए महंगी कोचिंग या अन्य महंगी सुविधाओं की जरूरत नहीं होती है, इसके लिए केवल मेहनत और लगन ही काफी होता है. वर्तमान में चंद्रप्रकाश को हिमाचल प्रदेश कैडर आवंटित है और वे ट्रैनिंग ले रहे है. वह बताते है कि अब तक का सफर बहुत ही अच्छा रहा है.