अभी तक माना जाता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं सुरक्षित निवेश, जैसे कि गोल्ड और एफडी, में भरोसा करती हैं. परंतु यह सच नहीं है. नई पीढ़ी निवेश के परंपरागत तरीकों से बाहर निकल रही है और नए विकल्पों को दोनों बाहें फैलाकर अपना भी रही है. बैंकबाजार की लेटेस्ट एस्पीरेशन इंडेक्स स्टडी इस बारे में तस्वीर को काफी हद तक साफ करती है. हालांकि अब भी सभी महिलाओं की निवेश से संबंधित रणनीति तुलनात्मक रूप से अधिक सेफ है. उनका ज्यादा ध्यान रिटर्न की अपेक्षा पैसे की सुरक्षा पर रहता है.
बैंकबाजार की स्टडी बताती है कि 23 से 45 वर्ष की आयु वर्ग में सैलरी पाने वाली 40 प्रतिशत महिलाओं ने म्यूचुअल फंड्स में भी निवेश करना शुरू कर दिया है. इतने ही प्रतिशत महिलाओं ने डायरेक्ट शेयर बाजार में भी निवेश किया है. इसी वर्ग की महिलाएं गोल्ड की बजाय इंडोव्मेंट या यूलिप प्लान में निवेश कर रही हैं. 15 फीसदी महिलाओं ने रियल एस्टेट में भी पैसा लगाया है. उपरोक्त आंकड़े पढ़कर आप कह सकते हैं कि महिलाएं जागरुक हैं, परंतु आप ध्यान से देखेंगे तो समझेंगे कि ये महिलाएं वो हैं, जो पैसा कमाती हैं. भारतीय समाज में नौकरीपेशा के साथ-साथ घर का काम संभालने वाली महिलाएं भी हैं, जो बाहर नौकरी नहीं करती हैं.
महिलाओं के सामने बड़ी समस्या है सूचनाओं की कमी
यह अवधारणा आमतौर पर ऐसी ही महिलाओं के बारे में है, जो घर पर रहती हैं और थोड़ा बहुत पैसा बचाकर सोने या फिर FD में निवेश करती हैं. ऐसी महिलाओं आखिर निवेश के नए विकल्पों की तरफ क्यों नहीं जातीं? इस बारे में जब बैंकबाजार की डीजीएम (कम्युनिकेशन्स) नंदा पद्मनाभन के पास सॉलिड कारण हैं. वे कहती हैं कि महिलाओं के पास नए निवेश विकल्पों के बारे में सोचने या उस पर रिसर्च करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता. यदि महिलाओं के पास इन्फॉर्मेशन आसानी से उपलब्ध हो तो यह सीन भी बदल जाएगा. जिन महिलाओं के पास ये सूचनाएं आसानी से उपलब्ध हैं, उन्होंने पारंपारिक बंधनों को तोड़ा है.
महंगाई के बारे में सोचें महिलाएं
नंदा पद्मनाभन के अनुसार, हम सबको बढ़ती महंगाई दर के बारे में सोचना चाहिए. महंगाई की दर, हमारी सेविंग पर मिलने वाले रिटर्न की दर से अधिक है. इसलिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना अब जरूरी जैसा हो गया है. इन्फ्लेशन में साल-दर-साल 6-7% की वृद्धि हो रही है. एजुकेशन की लागत हर साल 10-15 प्रतिशत बढ़ रही है. ऐसे में 7% रिटर्न देने वाली एफडी फायदेमंद नहीं रहेगी. म्यूचुअल फंड्स बेहतर विकल्प हैं, जिनमें 5 से 8 साल तक निवेश में बने रहने पर 12 से 15 प्रतिशत तक का रिटर्न आसानी से पाया जा सकता है.
एक्सपर्ट की सलाह- टाइम निकालें महिलाएं
महिलाओं को थोड़ा वक्त निकालना चाहिए और समझना चाहिए कि म्यूचुअल फंड कैसे काम करता है. समझने के बाद ही महिलाओं को SIP में निवेश करना चाहिए. ये सलाह देते हुए नंदा पद्मनाभन कहती हैं कि शुरुआत निफ्टी50 जैसे पैसिव फंड से करनी चाहिए. ये फंड निफ्टी इंडेक्स के हिसाब से मूव करते हैं और शुरुआत के लिए बहुत बढ़िया हैं. दूसरी बात जो ध्यान में रखनी चाहिए, वह है पेशेंस. बाजार के गिरने पर निराश नहीं होना चाहिए और अच्छे रिटर्न के लिए लम्बे समय तक बने रहना चाहिए.
फंड्स के बारे में जानना काफी आसान है. धीरे-धीरे इनके बारे में समझ आने लगेगी. फिर भी किसी को समझने में परेशानी होती है तो उन्हें किसी सर्टीफाइड फाइनेंशियल एडवाइज़र की सलाह लेनी चाहिए.
कुछ अच्छे इंडेक्स फंड्स कौन से हैं?
इन्वेस्टिंग प्लेटफॉर्म Groww के अनुसार, इंडेक्स फंड्स वो हैं, जो किसी इंडेक्स को फॉलो करते हैं. इनमें वही स्टॉक होते हैं और उतनी ही वेटेज के साथ होते हैं, जितनी की इंडेक्स में होती है. हालांकि इनमें निवेश करने से पहले भी फाइनेंशियल एडवाइज़र की सलाह लेना अच्छा रहता है. यहां कुछ फंड्स के नाम दिए गए हैं-